विनियोग : अस्य श्री बगलामुखी स्तोत्रस्य नारद ऋषिः त्रिष्टुप छन्दः। अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे। पुरवहु मातु मनोरथ मोरे।। सन्तशरण को तनय हूं, कुलपति मिश्र सुनाम। हस्तं तद्धृदये दत्वा कवचं तिथिवारकम्॥ २९ ॥ आसन पीतवर्ण महारानी। भक्तन की तुम हो वरदानी।। One Of the essential areas of Maa Baglamukhi‘s Electrical https://www.instagram.com/tantramantraaurvigyaan/reel/DA6ACEaONEJ/
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